BA Semester-5 Paper-1 Econimics - Economic Growth and Development - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :224
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2773
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 17 
विदेशी व्यापार, सहायता बनाम व्यापार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, तकनीकी अन्तरण तथा बहुराष्ट्रीय निगम

(International Trade, Aid vs Trade, FDI, T echnology Transfer and MNCs)

प्रश्न- एक विकासशील अर्थव्यवस्था में विदेशी पूँजी की आवश्यकता महत्व तथा खतरों की विवेचना कीजिए।

उत्तर-

विदेशी पूँजी की आवश्यकता तथा महत्व
(Need and Importance of Foreign Capital)

आर्थिक विकास में विदेशी पूँजी का महत्वपूर्ण स्थान होता है। आज के जितने भी विकसित राष्ट्र है उनमें से प्रायः सभी ने अपने आर्थिक विकास की प्रारम्भिक अवस्था से विदेशी पूँजी का प्रयोग किया था। प्रो. लिक्सि के अनुसार विकास की प्रारंभिक अवस्था में अपनी अल्प बचत के पूरक के रूप में प्रायः प्रत्येक विकसित राष्ट्र को विदेशी वित्त का सहारा लेना पड़ा था। उदाहरण के लिये 17 वीं तथा 18 वीं शताब्दी में इग्लैण्ड ने हालैण्ड से उधार लिया और बाद में उसने स्वयं 19 वीं तथा 20 शताब्दी में विश्व के प्रायः सभी देशों को उधार दिया। इसी प्रकार संयुक्त राज्य अमेरिका जो अभी विश्व के सबसे धनी राष्ट्र है, ने 19 वीं शताब्दी में बड़े पैमाने पर उधार लिया था और अब स्वयं 10 वीं शताब्दी में एक प्रमुख उधार देने वाला देश बन गया है।

विदेशी पूँजी की सहायता से एक अर्द्ध-विकसित देश शीघ्र ही आत्मनिर्भर विकास की अवस्था में पहुँच सकता है तथा यदि उसके बाद भी विदेशी सहायता उपलब्ध होती रही तो वह अपने आर्थिक विकास की दर को और अधिक तेज कर सकता है। वास्तव में निम्नलिखित बातों के आधार पर आर्थिक विकास में विदेशी पूँजी की भूमिका स्पष्ट होती है -

(1) आर्थिक विकास के लिये पूँजीगत वस्तुओं का आयात (Import of Capital Goods for Economic Development ) - ऊपर हम देख चुके हैं कि किसी देश के आर्थिक विकास की प्रारम्भिक अवस्था में कच्चे माल मशीनरी तथा उपकरण, तकनीकी ज्ञान जैसे पूँजीगत वस्तुओं के आयात की आवश्यकता पड़ती है। इन फसलों के लिये अधिकांश धन विदेशी पूँजी द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही ये विभिन्न आयात स्वयं विदेशी पूँजी के उदाहरण हैं।

(2) पूँजी निर्माण में वृद्धि (Increase in Capital Formation) - अल्प विकसित देशों में आय का स्तर कम होने से बचत की मात्रा भी कम होती है जिससे इन देशों में पूँजी का निर्माण बहुत कम होता है। विदेशी पूँजी में सहायता से इन देशों में पूँजी निर्माण में वृद्धि की जा सकती है। विदेशी पूँजी की सहायता से देश की द्रुतगति से आर्थिक विकास होता है जिससे लोगों की आय बढ़ती है और आय बढ़ने से बचत और पूँजी निर्माण की दरें बढ़ती हैं।

(3) आंतरिक बचत को प्रोत्साहन (Encouragement to Internal Saving) - विदेशी पूँजी से आर्थिक विकास की गति तीव्र होने के साथ-साथ आन्तरिक बचत को भी प्रोत्साहन मिलता है क्योंकि आर्थिक विकास के फलस्वरूप उत्पादन एवं लोगों की आय में वृद्धि होती है। साथ ही विदेशी पूँजी घरेलू बचतों पर पड़ने वाले दबाओं को भी कम करती है।

(4) प्राकृतिक साधनों का समुचित उपयोग (Proper Utilisation of Natural Resources) - अधिकांश अल्प विकसित देश प्राकृतिक साधनों की दृष्टि से सम्पन्न होते हुए भी निर्धन एवं पिछड़े हुए होते हैं क्योंकि उनके पास प्राकृतिक साधनों के समुचित उपयोग के लिये पूँजी का अभाव होता है। अतः विदेशी पूँजी की सहायता से ये देश अपने प्राकृतिक साधनों का समुचित उपयोग कर औद्योगिक विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।

(5) आर्थिक विकास की गति को तीव्र बनाना (Accelerating the Pace of Economic Progress) - विदेशी पूँजी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे आर्थिक विकास की गति को तीव्र करने में मदद मिलती है। आर्थिक विकास की गति प्रदान करने के लिए बड़ी मात्रा में पूँजीगत वस्तुओं एवं तकनीकी जानकारी का आयात करना पड़ता है। लेकिन अधिकांश अर्द्ध विकसित देशों में निर्यातों से अर्जित विदेशी मुद्रा इन आयातों का भुगतान करने के लिये पर्याप्त नहीं होता।

(6) आन्तरिक अर्थव्यवस्था पर भार में कमी (Reduction in the Strain on the Domestic Economy) - विदेशी पूँजी से आन्तरिक अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले भार में भी कमी होती है जो विनियोगों में वृद्धि से सम्भव होता है। अर्द्धविकसित देशों में विनियोग में वृद्धि करने के लिये उपभोग में निश्चितता रूप से कमी करने की आवश्यकता पड़ती है।

(7) वास्तविक आय, रोजगार एवं जीवन स्तर में वृद्धि (Increase in Real Income Employment and Standard of Living) - अर्द्ध-विकसित देशों में विदेशी पूँजी के विनियोग से पूँजी निर्माण की दर में वृद्धि होती है तथा आर्थिक विकास की गति तीव्र होती है. जिससे उत्पादन में वृद्धि होती है। उत्पादन में वृद्धि होने से रोजगार में वृद्धि होती है तथा लोगों की वास्तविक आय बढ़ती है। वास्तविक आय में वृद्धि होने से लोगों के जीवन स्तर में सुधार होता है।

(8) स्थायी परिसम्पत्तियों का निर्माण (Building up of Permanent Assests) - अर्द्ध-विकसित देशों में विदेशी पूँजी के विनियोग से रेलवे सड़क, सिंचाई एवं बिजली की बड़ी- बड़ी परियोजनाओं आदि स्थायी परिसम्पत्तियों क निर्माण होता है, परिसम्पत्तियों के निर्माण से देश की सम्पत्ति में वृद्धि होती है और आर्थिक विकास को बल मिलता है।

(9) मुद्रा स्फीति पर रोक (Check on Inflation) - अर्द्ध-विकसित देशों में आर्थिक विकास की परियोजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए बड़े पैमाने पर पूँजी की आवश्यकता पड़ती है लेकिन इसके लिये साधनों के अभाव में अधिकाधिक मात्रा में घाटे की वित्त व्यवस्था का सहारा लिया जाता है।

(10) तकनीकी ज्ञान की उपलब्धि (Availability of Technical Knowledges) - आर्थिक विकास के लिये तकनीकी ज्ञान एवं आधुनिक तकनीक की आवश्यकता होती है। जिसकी कमी अल्प विकसित देशों के आर्थिक विकास में बाधक सिद्ध होती है। विदेशों से प्राप्त तकनीकी ज्ञान आर्थिक विकास को प्रोत्साहन करता है।

विदेशी पूँजी के खतरे
(Dangers of Foreign Capital)

विदेशी पूँजी के प्रयोग के खतरे निम्नलिखित हैं-

(1) आर्थिक निर्भरता में वृद्धि ( Increase in Economic Dependency) -  विदेशी पूँजी के प्रयोग से ऋणी देश की अर्थव्यवस्था पूँजी प्रदान करने वाले विकसित राष्ट्रों पर निर्भरता में वृद्धि होती है।

(2) विदेशी पूँजी की अनिश्चित प्रकृति (Uncertain Nature of Foreign Capital) - विदेशी पूँजी की प्रकृति अनिश्चित होती है। विदेशी पूँजी के सम्बन्ध में यह कभी भी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि यह कितनी मात्रा में कहाँ से तथा कब मिलेगी और कब विदेशों को लौह जायेगी। अतः आर्थिक विकास की योजनाओं के लिए विदेशी पूँजी पर पूर्णतः भरोसा नहीं किया जा सकता है।

(3) राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा (Danger to National Defence) - कभी-कभी सुरक्षा एवं आधारभूत उद्योगों में विदेशी पूँजी के अत्यधिक प्रयोग से देश की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है। लेकिन वर्तमान समय में अर्द्धविकसित देशों की सरकारें इस खतरे में बचाव के प्रति अधिक सजग हो गयी है।

(4) ब्याज एवं मुनाफे का बाहर चला जाना (Drain of Interest and Profits) - विदेशी पूँजी के प्रयोग से एक हानि यह भी है कि प्रतिवर्ष देश का बहुत-सा साधन ब्याज एवं लाभ के रूप में विदेशों को चला जाता है जबकि घरेलू पूँजी पर मिले ब्याज एवं लाभ का प्रायः पुनः देश में ही विनियोग किया जाता है। इस प्रकार देश विदेशी पूँजी पर मिले ब्याज एवं मुनाफे की रकम से वंचित रह जाता है।

(5) शुद्ध विनियोग में वृद्धि नहीं (No Increase in Net Investment) - ऐसा कहा जाता है कि विदेशी सहायता में सदा शुद्ध विनियोग में वृद्धि नहीं होती वास्तव में विदेशी सहायता प्राप्त करने वाले प्रायः सभी अल्पविकसित देश विदेशी पूँजी के आगमन एवं प्रयोग पर कड़े प्रतिबन्ध लगाते हैं जिससे देश में निजी उद्यम के कार्य एवं विस्तार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप विदेशी एवं स्वदेशी निजी उद्योगों को बाध्य होकर अपनी क्षमता के नीचे काम करना पड़ता है !

(6) आर्थिक असंतुलन का भय (Fear of Economic Imbalance) - विदेशी पूँजी के प्रयोग से आर्थिक असंतुलन का भी भय बना रहता है। इसका कारण यह है कि विदेशी प्रायः उन्हीं उद्योगों में अपनी पूँजी लगाते हैं जो देश के विकसित क्षेत्रों में स्थित होते हैं और जिनमें लाभ की दर अधिक होती है। वे देश के पिछड़े क्षेत्रों एवं राष्ट्रीय महत्व के उद्योगों तथा घरेलू माँग सम्बन्धी वस्तुओं के उत्पादन करने वाले उद्योगों की अवहेलना करते हैं। इससे आर्थिक . संतुलन की सृष्टि होती है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- आर्थिक विकास का आशय तथा परिभाषा कीजिए। आर्थिक विकास की प्रकृति व महत्व का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- आर्थिक विकास की परिभाषाएँ दीजिए।
  3. प्रश्न- आर्थिक विकास की विशेषताएँ बताइए।
  4. प्रश्न- आर्थिक विकास की प्रकृति बताइए।
  5. प्रश्न- आर्थिक विकास एवं आर्थिक वृद्धि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले कारको की विवेचना कीजिये।
  7. प्रश्न- आर्थिक विकास को निर्धारित करने वाले आर्थिक तत्वों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- आर्थिक विकास के अनार्थिक तत्वों को समझाइए।
  9. प्रश्न- आर्थिक विकास पर मानवीय संसाधन के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में बाधक हैं?
  11. प्रश्न- बढ़ती हुई जनसंख्या का आर्थिक विकास पर प्रभाव बताइए।
  12. प्रश्न- आर्थिक विकास के मापक बताइये।
  13. प्रश्न- आर्थिक विकास में संस्थाओं की भूमिका समझाइए।
  14. प्रश्न- किसी देश के आर्थिक विकास में विदेशी पूँजी की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
  15. प्रश्न- आर्थिक संवृद्धि की गैर-आर्थिक बाधाएँ कौन-कौन सी हैं?
  16. प्रश्न- आर्थिक पिछड़ापन आर्थिक तथा अनार्थिक कारकों का परिणाम है। इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
  17. प्रश्न- आर्थिक विकास एवं विकास अन्तराल की माप किस प्रकार की जाती है?
  18. प्रश्न- गरीबी अथवा निर्धनता के अर्थ को स्पष्ट कीजिए, भारत में गरीबी के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
  19. प्रश्न- विकसित एवं विकासशील देशों की आय एवं सम्पत्ति असमानता में अन्तराल के कारणों का स्पष्ट विवेचन कीजिए।
  20. प्रश्न- मानव विकास सूचकांक की धारणा किन मान्यताओं पर आधारित है, तथा मानव विकास सूचकांक निर्माण करने के चरणों की व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- गरीबी रेखा के निर्धारण का क्या महत्त्व है? तथा भारत में गरीबी रेखा के निर्धारण हेतु सरकार द्वारा उठाये गये कदमों पर प्रकाश डालिए?
  22. प्रश्न- प्रसरण प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
  23. प्रश्न- सापेक्ष गरीबी बनाम निरपेक्ष गरीबी पर टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- मानव विकास सूचकांक (HDI) क्या है? यह मानव विकास में कितने आयामों को मानता है?
  25. प्रश्न- भौतिक जीवन कोटि निर्देशांक किसने निर्मित किया? भौतिक जीवन कोटि निर्देशांक किन सूचकों द्वारा की जाती है?
  26. प्रश्न- "कोई देश इसलिए गरीब रहता है क्योंकि वह गरीब है। " स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- निर्धनता के दुष्चक्र को तोड़ने के उपाय बताइये।
  28. प्रश्न- गिनी गुणांक क्या है? गिनी गुणांक कैसे मापा जाता है?
  29. प्रश्न- गिनी गुणांक का महत्व क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  30. प्रश्न- लॉरेंज वक्र क्या है?
  31. प्रश्न- वैश्विक भूख सूचकांक क्या है?
  32. प्रश्न- लिंग सम्बन्धित विकास सूचक क्या है?
  33. प्रश्न- मानव निर्धनता सूचक क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  34. प्रश्न- खुशहाली सूचकांक क्या है?
  35. प्रश्न- सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य (MDG) की महत्वपूर्ण विशेषताएँ बताइये।
  37. प्रश्न- सतत् विकास की अवधारणा स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- आर्थर लुइस द्वारा प्रस्तुत असीमित श्रम आपूर्ति द्वारा आर्थिक विकास के सिद्धान्त का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  39. प्रश्न- प्रबल प्रयास सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  40. प्रश्न- नैल्सन का निम्नस्तरीय संतुलन अवरोध का सिद्धान्त की चित्रात्मक व्याख्या कीजिए।
  41. प्रश्न- संतुलित विकास के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए तथा विकासशील देशों के सन्दर्भ में इसकी सीमाएं बताइए।
  42. प्रश्न- संतुलित विकास के पक्ष में तर्क दीजिए।
  43. प्रश्न- संतुलित विकास के विपक्ष में विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा दिये गये तर्कों का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- असंतुलित विकास को परिभाषित कीजिए।
  45. प्रश्न- असंतुलित विकास के सम्बन्ध में विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा परिलक्षित किये गये विचारों को प्रकट कीजिए।
  46. प्रश्न- संतुलित तथा असंतुलित विकास पद्धति में कौन बेहतर है?
  47. प्रश्न- हर्षमैन के असन्तुलित विकास सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए तथा विकासशील देशों के लिए इसकी उपयुक्तता का विवेचन कीजिए।
  48. प्रश्न- संतुलित एवं असंतुलित विकास की व्याख्या कीजिए। भारत जैसे विकासशील देश के लिए किस प्रकार का विकास अपेक्षित है?
  49. प्रश्न- असंतुलित विकास सिद्धान्त को समझाइये |
  50. प्रश्न- सन्तुलित विकास के सम्बन्ध में रोजेन्स्टीन रोडान के विचार को स्पष्ट कीजिए।
  51. प्रश्न- हर्षमैन द्वारा संतुलित विकास के विचार की किस प्रकार आलोचना की गयी है?
  52. प्रश्न- रोस्टोव की आर्थिक विकास की अवस्थाओं का वर्णन एवं आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  53. प्रश्न- हैरोड तथा डोमर के विकास मॉडल की आलोचनात्मक व्याख्या करते हुए बताइए कि भारत जैसे अल्पविकसित देश में यह कहाँ तक लागू किया जा सकता है?
  54. प्रश्न- हैरोड द्वारा प्रस्तुत विकास दरों व समीकरण बताइए।
  55. प्रश्न- हैरोड के विकास मॉडल की आलोचनायें बताइए।
  56. प्रश्न- हैरोड का विकास मॉडल डोमर के विकास मॉडल से किस प्रकार भिन्न है?
  57. प्रश्न- हैरोड के विकास प्रारूप का संक्षेप में परीक्षण कीजिए। भारत जैसे विकासशील देशों में यह कहाँ तक लागू होता है?
  58. प्रश्न- हैरोड - डोमर मॉडल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  59. प्रश्न- व्यष्टि स्तर पर नियोजन समझाइए।
  60. प्रश्न- हैरोड - डोमर मॉडल में छुरी-धार सन्तुलन की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
  61. प्रश्न- भारत के जनसंख्या वृद्धि की बदलती हुई विशेषताओं पर एक नोट लिखिए।
  62. प्रश्न- जनांकिकी से क्या अभिप्राय है? जनांकिकी संक्रमण सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  63. प्रश्न- जनसंख्या एवं पर्यावरण किस प्रकार एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं तथा आर्थिक विकास को कैसे प्रभावित करते हैं? मूल्यांकन कीजिए।
  64. प्रश्न- "जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में सहायक है अथवा बाधक।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  65. प्रश्न- जनसंख्या का आर्थिक विकास पर तथा आर्थिक विकास का जनसंख्या पर पड़ने वाले प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
  66. प्रश्न- पर्यावरण क्या है? इसके कार्यों को स्पष्ट कीजिए?
  67. प्रश्न- जनसंख्या नीति 2000 की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  68. प्रश्न- समावेशी विकास की आवधारणा या महत्व क्या है?
  69. प्रश्न- समावेशी विकास के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?
  70. प्रश्न- समावेशी विकास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- बाजार विफलता का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं बाजार विफलता के कारण बताइये।
  72. प्रश्न- सरकार की विफलता के कारण बताइए।
  73. प्रश्न- बाजार विफलता को ठीक करने के उपाय बताइये।
  74. प्रश्न- सरकार की विफलता का अर्थ क्या है तथा इसके क्या कारण हैं?
  75. प्रश्न- सरकार की विफलता का अर्थ बताइए।
  76. प्रश्न- मानव पूँजी क्या है? आर्थिक विकास में मानवीय पूँजी निर्माण की भूमिका एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
  77. प्रश्न- "जनसंख्या राष्ट्र के लिये सम्पत्ति है और दायित्व भी।" इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
  78. प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण का क्या अर्थ है तथा मानवीय संसाधनों के विकास में क्या महत्व है? स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- मानवीय साधनों में विनियोग कितने मदों में किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- मानव पूँजी निर्माण के उपायों पर चर्चा कीजिए।
  82. प्रश्न- मानव पूँजी निर्माण के घटकों तथा अर्धविकसित देशों में मानव पूँजी के निम्न स्तर होने के कारणों का स्पष्ट विवेचन कीजिए।
  83. प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण के क्या-क्या मापदण्ड हैं? तथा इसके मापदण्डों का मूल्यांकन कीजिए।
  84. प्रश्न- आर्थिक विकास से आपका क्या तात्पर्य है? किसी विकासशील (अल्पविकसित ) देश की क्या विशेषताएँ हैं?
  85. प्रश्न- भारत जैसे एक अल्पविकसित देश के प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए। भारत के अल्पविकसित होने के प्रमुख कारणों को बताइए।
  86. प्रश्न- विकसित एवं विकासशील अर्थव्यवस्था के मध्य अन्तर स्पष्ट करते हुए आर्थिक विकास के सूचकांकों पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- अल्पविकास के प्रमुख मापदण्ड़ों को स्पष्ट कीजिये।
  88. प्रश्न- अल्पविकास के कारणों को स्पष्ट कीजिये।
  89. प्रश्न- विकसित एवं विकासशील अर्थव्यवस्था में अन्तर स्पष्ट करें।
  90. प्रश्न- क्या भारत एक अल्पविकसित देश है? स्पष्ट कीजिये।
  91. प्रश्न- अल्पविकसित अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें लिखिये।
  92. प्रश्न- आर्थिक संवृद्धि एवं आर्थिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  93. प्रश्न- मिर्डल के चक्रीय कार्यकरण का सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  94. प्रश्न- विकास के फाई एवं रेनिस सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- फाई- रेनिस सिद्धान्त की मान्यताएँ बताइए।
  96. प्रश्न- फाई- रेनिस के सिद्धान्त को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
  97. प्रश्न- फाई-रेनिस सिद्धान्त की आलोचनाएँ बताइए।
  98. प्रश्न- प्रो. हिणिन्स द्वारा प्रतिपादित औद्योगिक द्वैतवाद सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
  99. प्रश्न- तकनीकी द्वैतवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- 'द्वैतवाद' एक विकासशील अर्थव्यवस्था के विकास की किस प्रकार बाधित कर सकती है?
  101. प्रश्न- बोइके का सामाजिक दुहरापन सिद्धान्त समझाइये।
  102. प्रश्न- मिन्ट का वित्तीय दुहरेपन को दूर करने का विकास सिद्धान्त क्या है?
  103. प्रश्न- अल्पविकास का निर्भरतापरक सिद्धान्त स्पष्ट कीजिए।
  104. प्रश्न- काल्डोर का आर्थिक वृद्धि मॉडल की व्याख्या कीजिए।
  105. प्रश्न- हैरड की तटस्थ तकनीकी प्रगति को स्पष्ट कीजिए।
  106. प्रश्न- तटस्थ एवं गैर तटस्थ तकनीकी प्रगति क्या है? तटस्थता के सम्बन्ध में हिक्स की धारणा स्पष्ट कीजिए।
  107. प्रश्न- आर्थिक विकास में तकनीकी प्रगति का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  108. प्रश्न- सोलो के दीर्घकालीन वृद्धि मॉडल की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए [
  109. प्रश्न- सोलो मॉडल की सीमाएँ लिखिए।
  110. प्रश्न- सोलो के वृद्धि मॉडल के अनुसार एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन किन तत्वों पर निर्भर करता है? संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  111. प्रश्न- करने से जानकारी (कौशल अर्जन) (Learning By Doing) को स्पष्ट कीजिए।
  112. प्रश्न- तकनीकी प्रगति का अभिप्राय क्या है?
  113. प्रश्न- स्टिग्लिट्ज का असममित सूचना सिद्धान्त स्पष्ट कीजिए।
  114. प्रश्न- शोध एवं विकास (Research and Development ) पर टिप्पणी कीजिए।
  115. प्रश्न- किसी देश के आर्थिक विकास में शिक्षा, शोध एवं ज्ञान की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  116. प्रश्न- अन्तर्जात संवृद्धि सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
  117. प्रश्न- एक विकासशील अर्थव्यवस्था में विदेशी पूँजी की आवश्यकता महत्व तथा खतरों की विवेचना कीजिए।
  118. प्रश्न- बहुराष्ट्रीय निगम से आप क्या समझते हैं? भारत जैसे विकासशील देश में निजी क्षेत्र एवं बहुराष्ट्रीय निगमों की क्या भूमिका है?
  119. प्रश्न- विश्व बैंक के क्या कार्य हैं? विकासशील देशों के सम्बन्ध में विश्व बैंक की क्या नीति है?
  120. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की स्थापना कब हुई थी तथा विकासशील देशों के सम्बन्ध में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की नीतियों की स्पष्ट विवेचना कीजिए।
  121. प्रश्न- मौद्रिक नीति के प्रमुख उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
  122. प्रश्न- बहुराष्ट्रीय निगम क्या है? उनके पक्ष एवं विपक्ष में तर्क दीजिए।
  123. प्रश्न- भारत के बाह्य ऋण' समझाइये |
  124. प्रश्न- 'प्रत्यक्ष विदेशी निवेश' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  125. प्रश्न- निजी विदेशी निवेश के विचार से आप क्या समझते हैं?
  126. प्रश्न- आर्थिक विकास में घाटे का वित्त प्रबंधन की भूमिका की व्याख्या कीजिए [
  127. प्रश्न- किसी देश के आर्थिक वृद्धि में विदेशी व्यापार की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
  128. प्रश्न- एक विकासशील अर्थव्यवस्था में मौद्रिक नीति किस प्रकार कार्य करती है? स्पष्ट कीजिए।
  129. प्रश्न- विश्व बैंक के कार्यों की प्रगति को स्पष्ट कीजिए।
  130. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की सफलताओं एवं असफलताओं को स्पष्ट कीजिए।
  131. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से भारत को होने वाले लाभों का विश्लेषण कीजिए।
  132. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  133. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के उद्देश्यों का विवेचन कीजिए।
  134. प्रश्न- विश्व बैंक से भारत को क्या लाभ हुए हैं? समझाइये |
  135. प्रश्न- विश्व बैंक की प्रमुख आलोचनायें लिखिये।
  136. प्रश्न- विश्व बैंक के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए।
  137. प्रश्न- विश्व बैंक के कार्यों का विश्लेषण कीजिए।

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